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Saturday, April 7, 2012

मरीज

                                                          मरीज

मरीज बन कर मेने ये जाना
ये जग है कितना सयाना
तराह तराह के सुझाव  ये लाता
परेज के नुस्के बतलाता
कोई पूजा पाट तो
कोई चमत्कार बतलाता
पास के मरीजो को देखकर जी और घबराता
इस्ट्रेचर  पर जाते हुए
उप्पर से गुजरती लाइट को देख पसीना आता
तनाव और परेशानी से भरे
घरवालो के चहरे देख घबराहट का पारा और बढजाता
मरीज बन कर मेने ये जाना
ये जग है कितना सयाना

डॉक्टर भगवन  बन जाते
नर्स दासी जो सुबह पांच बजे उठाती
मिलने वाले रात देर तक मिलने आते
अब केसा लग रहा है ये पुछ कर चिढाते
पट्टे वाले कपडे में मरीज कम केदी जायदा लगते
मरीज बन कर मेने ये जाना
ये जग है कितना सयाना


सब ठीक होते हुए भी
खुद को समझाने में दो तिन दिन लग जाते
लोग फिर भी अपने राय ठूस जाते
अपना ध्यान रखना ये केहकर चल देतें
मन में शक का बिज बो देतें
मरीज बन कर मेने ये जाना
ये जग है कितना सयाना







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