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Sunday, October 16, 2011

Bus

बस

पुने  की बस एक दम मस्त
इसमें लोग ठूस ठूस कर भरेजाते
कई बेठकर कई खड़ेहोकर तो कई लटक कर जाते
इसमें लोग जितने पास आते उतने और कही नहीं आते
अनेकता में एकता का सही उद्धरण हम ईसी से पाते
प्रेम करने वाले इसमें अक्सर पाये जाते.
करीब आनेका कोई  म़ोका  वो चूकना नही चाहते
होर्न छोड़ इसके सारे  पूरझे हे बजते
बूढ़े इसमें बेठते ही राम नाम जपते
समय पर ये कभी नहीं आती
जहाँ मन चाहे वही रुक जाती
फिर भी लोगो की प्यारी
ये हे अपनी रामप्यारी
इसलिए हे  पुणे की बस एक दम मस्त