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Wednesday, December 26, 2012

हम सुरक्षित हें

हम सुरक्षित हें 


शहर में हो रहे बलात्कार पर हम सुरक्षित हें 
रोज  हो रहे कत्लेआम पर हम सुरक्षित हें
गुंडों की बड रही आबादी पर हम सुरक्षित हें
पुलिस बरसा रही  लाठी पर हम सुरक्षित हें
भ्रस्टाचार का हे बोल  बाला  पर हम सुरक्षित हें 
पडोसी मूलक ने आतंकवादी हमला कर डाला  पर हम सुरक्षित हें 
मेहेंगाई ने सब रिकॉर्ड तोड़ डाले पर हम सुरक्षित हें 
डेंगू मलेरिया स्वीन फ्लू ने अपने जाल डाले  पर हम सुरक्षित हें 
डर तो हम को भी बहुत लगता है पर मन को ये कहकर भह्लाते हें 
डर मत मन अभी हम सुरक्षित हें 



पर  कब तक ?   


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